महादेव ही ऐसे देवता हैं जिनका परिवार पूरा माना जाता है । सामान्यतया भगवान शिव, मां पार्वती, गणेश जी और
कार्तिकेय जी को ही उनके संपूर्ण परिवार के रूप में पूजा जाता है । लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनकी बेटियां भी
थीं ।वैसे तो उनकी एक बेटी अशोक सुंदरी का ही उल्लेख मिलता है । लेकिन पदम पुराण के अनुसार उनकी तीन बेटियां थी ।
अशोक सुंदरी, ज्योति या माँ ज्वालामुखी और देवी वासुकी या मनसा ।
हालांकि तीनों बहनें अपने भाइयों की तरह चर्चित नहीं है लेकिन देश के कई हिस्सों में इनकी पूजा की जाती है।
आइए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं-
अशोक सुंदरी-
शिव जी की बड़ी बेटी अशोक सुंदरी को देवी पार्वती ने अपने अकेलेपन को दूर करने के लिए जन्म दिया था। देवी पार्वती के समान ही
अशोक सुंदरी रूपवती थी । इसीलिए इनके नाम में सुंदरी आया। वहीं इनको अशोक नाम इसलिए दिया गया क्योंकि वह पार्वती के अकेलेपन
का शोक दूर करने आई थी। अशोक सुंदरी का विवाह परम पराक्रमी राजा नहुष से हुआ था। माता पार्वती के वरदान से अशोक सुंदरी ययाति
जैसे वीर पुत्र तथा सौ रूपवती कन्याओं की माता बनी ।
अशोक सुंदरी की पूजा खासतौर पर गुजरात में होती है।
ज्योति-
शिवजी की दूसरी पुत्री का नाम ज्योति है और उनके जन्म से जुड़ी दो कथाएं बताई जाती हैं। पहली के अनुसार ज्योति का जन्म शिवजी के तेज से
हुआ था और वह उनके प्रभा मंडल का ही एक स्वरूप है। दूसरी मान्यता के अनुसार ज्योति का जन्म पार्वती के माथे से निकले तेज से हुआ था।
देवी ज्योति का दूसरा नाम ज्वालामुखी भी है और तमिलनाडु के कई मंदिरों में इनकी पूजा होती है।
मनसा देवी-
यह देवी अपने गुस्से के लिए जानी जाती है। बंगाल की लोक कथाओं के अनुसार सर्प दंश का इलाज मनसा देवी के पास होता है। इनका जन्म जब हुआ
था जब शिवजी का वीर्य कद्रू जिन्हें सांपों की मां कहा जाता है की प्रतिमा को छू गया था । इसलिए इनको शिव की पुत्री कहा जाता है लेकिन पार्वती की नहीं।
बताया जाता है कि मनसा का एक नाम वासुकी भी है और पिता तथा पति द्वारा उपेक्षित होने की वजह से इनका स्वभाव काफी गुस्से वाला माना जाता है।
आमतौर पर इनकी पूजा बिना किसी प्रतिमा या तस्वीर के होती है । इनकी जगह पर पेड़ की कोई डाल, मिट्टी का घड़ा या फिर मिट्टी का साँप बनाकर पूजा
जाता है । चिकन पॉक्स या सांप काटने से बचाने के लिए इनकी पूजा होती है। बंगाल के कई मंदिरों में इनका विधिवत पूजन किया जाता है।
एक कथा और भगवान शिव की पांच बेटियों की-
सावन के महीने में पार्वती और शिव से संबंधित कई त्योहार मनाए जाते हैं । ऐसा ही एक त्यौहार है मधुश्रावणी का । मधुश्रावणी को बिहार के मिथिला
इलाके में मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत करती हैं। इस दिन कई तरह की कथाएं भी सुनाई जाती हैं ।
इनमें से एक कथा है भगवान शिव की पाँच बेटियों के जन्म की ।
इस कहानी के अनुसार-
एक बार भगवान शिव, माता पार्वती के साथ एक तालाब में जल क्रीड़ा कर रहे थे। इस दौरान भगवान शिव जी का वीर्य स्खलन हो गया। भगवान शिव ने इसे
एक पेड़ के पत्ते पर रख दिया जिसके बाद उनके वीर्य से पांच कन्याएं पैदा हो गई । भगवान शिव जी ने अपनी पांच बेटियों के नाम जया, विषहर, शामिलबारी,
देव और दोतलि रखें । इसके बाद भगवान शिव वहां से चले गए। लेकिन समय-समय पर भोलेनाथ अपनी बेटियों से मिलने वहां आते रहे। ऐसा कई दिनों तक
चलता रहा। पार्वती मां को उन पर थोड़ा संदेह हुआ तो माता पार्वती ने भगवान शिवजी का पीछा किया । मां पार्वती ने देखा कि तालाब में इन साँप रूपी बेटियों
के साथ भगवान शिव खेल रहे थे । यह सब देखकर पार्वती मां गुस्सा हो गई और इन साँपों को मारने की कोशिश करने लगी । तब भगवान शिव ने उन्हें इन पांच
बेटियों की कथा सुनाई जिसे सुनकर माता पार्वती हंसने लगी।
उस समय महादेव ने कहा कि सावन के महीने में जो कोई भी सांपों की पूजा करेगा उसे सर्प से भय नहीं लगेगा। यही कारण है कि इस महीने में सांपों की भी पूजा की जाती है।
यह भी एक विडंबना ही है कि प्राचीन काल से ही बेटियों को अधिक महत्व नहीं दिया जाता था। भगवान शिव के बेटों के बारे में ही हमें अधिक जानकारी है
उनकी बेटियों का उल्लेख तो बहुत कम मिलता है।आम लोगों को तो बिल्कुल भी नहीं पता कि भगवान शिव की बेटियां भी थीं ।
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